ऐतिहासिक फैसले सरकार के........... देवेश प्रताप सिंह राठौर (वरिष्ठ पत्रकार) भारत की आजादी के बाद बड़े-बड़े देश हित में जो कार्य थे जो पूर्व सरकारों ने अनदेखी की वह आज 5:30 साल की मोदी सरकार ने जो किया वह स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।जैसे नोटबंदी हो या तीन तलाक जैसा गंभीर मसला या कश्मीर में धारा 370 एवं 35 ए हो सभी में बड़ी सफलता के साथ निर्भीकता पूर्व निर्णय लिए गए जो देश के लिए अति आवश्यक रहे उस
भारत की आजादी के बाद बड़े-बड़े देश हित में जो कार्य थे, जो पूर्व सरकारों ने अनदेखी की वह आज 5:साल छे माह में मोदी सरकार ने जो किया वह स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है।जैसे नोटबंदी हो या तीन तलाक जैसा गंभीर मसला या कश्मीर में धारा 370 एवं 35 ए हो सभी में बड़ी सफलता के साथ निर्भीकता पूर्व निर्णय लिए गए, जो देश के लिए अति आवश्यक रहे उसी तरह जो श्री राम का मंदिर विवाद 492 वर्षों से चला आ रहा था सुप्रीम कोर्ट द्वारा श्री रामचंद्र के मंदिर बनाने का भी रास्ता साफ हो गया यह भी निर्णय मोदी सरकार के साडे 5 साल के कार्यकाल में ही आया । जिसे हम सुप्रीम कोर्ट की बहुत ही सराहना करते हैं कि यह निर्णय श्री रामचंद्र जी मर्यादा पुरुषोत्तम पर सुनाया और सभी हिंदुओं को आस्था के प्रतीक श्री रामचंद्र की जन्म भूमि का मंदिर का निर्माण हो सकेगा ,यह कैसी विडंबना है हिंदू समाज के लिए सभी जात के धर्म के लोगों के ईश्वर कीजन्मस्थली रही है ,पर हिंदुओं के रामलला के जन्म स्थान पर विवाद चल रहा है जो 492 वर्ष से आज तक चला रहा है जिसे 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट द्वारा भारत को विजय प्राप्त है। और हिंदू समाज को विजय मिली इसमें किसी जाति की विजय नहीं सत्य की जीत है।परंतु यह कह सकते हैं कि हिंदू समाज के भगवान श्री रामचंद्र का जन्मस्थान विवादित चल रहा था जहां प अव भव्य मंदिर बनेगा जहां पर आस्था के प्रतीक हिंदू समाज के लोग जन्मस्थली में दर्शन करने जा सकेंगे। जम्मू कश्मीर मे 370 पर. .... ।।.. ................................. जम्मू कश्मीर में धारा 370 एवं 35 ए हटने के बाद जो हालात कश्मीर में बने वह आपने पूर्व सरकारों की पूर्व भाषाओं के आधार पर यह स्पष्ट दिखाई दे गया कि उनकी मंशा क्या थी और क्या रही है जिस तरह उन्होंने जम्मू कश्मीर को बर्बाद करके रख दिया वह स्पष्ट आज दिखाई देने लगा है आप समझ लीजिए कि पूर्व मुख्यमंत्री पीडीपी पार्टी की मुखिया महबूबा मुफ्ती की गिरफ्तारी पर उनकी बेटी इल्तिजा ने अपनी मां की गिरफ्तारी पर नाराजगी जताई और कहा कि मेरी मां आतंकी नहीं है। वह कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री रही है जब धारा 370 नहीं हटा थी उस समय महबूबा मुफ्ती के जो भाषाएं सामने आई वास्तव में बहुु देश हित में नहीं रही, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती पार्टी की अध्यक्ष है, मुख्यमंत्री रही जम्मू कश्मीर की कश्मीर की मुख्यमंत्री रहने के समय उन्होंने जो भी वक्तव्य दिए वह आतंकवाद को बढ़ावा देने के सिवाय कुछ नहीं था वैसे एक बात कही जाएगी भाजपा ने पीडीपी को समर्थन देकर जो सरकार महबूबा मुफ्ती की बनाई यह एक बहुत बड़ी भूल थी जो उन्होंने अपने ऊपर एक कलंक लगा लिया है क्योंकि जम्मू कश्मीर में जिन के लोगों की भी सरकार रही है या फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला यह सब भारत के लिए आग उगलते धारा 370 हटने को के बाद फारूक अब्दुल्लाह उमर अब्दुल्ला महबूबा मुफ्ती सहित सभी लोग नजरबंद है तथा कई अलगाववादी नेता जोर नाम इनका लगावा दी है इससे अलग करने की बात के कार्य करते रह जम्मू-कश्मीर में उनकी हकीकत सामने आ चहर कश्मीर में घूमते रहे हैं पर सरकारों ने आज तक ध्यान नहीं दिया इन साडे 5 सालों में मोदी सरकार ने जो कार्य किए हैं वह ऐतिहासिक कार्य है किसी पार्टी की बात कही जाए तो यह कार ब कठिन कार्यों में एक हर ने क्यों नहीं किया यह वही बता सकते हैं परंतु देश हित को देखते हुए जो 4 या 5 निर्णय हुए है। वाह बहुत ही कठिन निर्णय रहे हैं भारतीय जनता पार्टी महबूबा मुफ्ती के पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद जब भारत के गृह मंत्री हुआ करते थे उस समय रूबिया कांड बहुत तेजी से हुआ था जिसमें पाकिस्तान के आतंकियों द्वारा मिली की भगत कही गई थी। परंतु पूरा देश जानता है कि वह कांड एक सोची-समझी नीति रही है मुफ्ती मोहम्मद सईद जी की बेटी का अपहरण यह आज भी एक रहस्य की बनी हुई है ।महबूबा मुफ्ती की दो बेटियां हैं महबूबा मुफ्ती के पति जावेद इकबाल वर्ष 1987 में तलाक हो गया था ।महबूबा मुफ्ती नहीं दोनों बेटियों को पाला है ।और पीडीपी पार्टी का गठन मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस से अलग होकर वर्ष 1999 में पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी का नाम दिया था जिसमें महबूबा मुफ्ती उपाध्यक्ष बनाई गई थी वैसे भाजपा की बहुत बड़ी भूल रही है कि उन्होंने पीडीपी को समर्थन देकर कश्मीर में सरकार बनाई।...…............. महाराष्ट्र में भाजपा नहीं सरकार बनाएगी................................................ आज पूरे विश्व में सिर्फ एक चीज चल रही है और भारत में विशेषकर की महाराष्ट्र में भाजपा के ना करने पर सरकार शिवसेना की क्या बन पाएगी ऐसे राजनीति में सब जायज है कितना भी विरोधी दल क्यों ना हो अपने दुश्मन को पढ़कर नहीं देने के लिए हाथ मिलाने को तैयार बैठा है शिवसेना और भाजपा का गठबंधन 10 सको दशकों से चला आ रहा है। बाला साहब बाल ठाकरे के कार्यकाल में भाजपा शिवसेना हिंदुत्व का एक बहुत बड़ा रूप हुआ करते थे।आज जिस तरह की मुख्यमंत्री के लिए युद्ध चल रहा है शिवसेना पुत्र मोह में अपने सिद्धांतों से भटकती जा रही है, और एक बड़ी पार्टी को अपने घनिष्ठ मित्र भाजपा को सरकार में मुख्यमंत्री के रूप में नहीं देखना चाहती वैसे बाल ठाकरे के जमाने में बाल ठाकरे जी फरमान जारी कर देते थे देश हित में हो या राष्ट्र हित में हो या राा में हो और पोो कोई भी दल कोई भी व्यक्ति कोई भी बाहुबली उसको नकारने की कोशिश नहीं की उसी पार्टी के उनके पुत्र उद्धव ठाकरे आज पार्टी को पुत्र मोह में फंसकर पार्टी के कर्तव्यों को भूल रहे हैं ।और भाजपा और शिवसेना की 10 सको 10 को पुरानी दोस्ती टूटने की कगार पर खड़ी है वहीं पर शरद पवार और कांग्रेस दोनों शिवसेना को समर्थन देना चाहेंगे जिससे भाजपा को हराने का प्रयास किया जा सके शिवसेना एक ऐसी पार्टी रही है जो हिंदुत्व के नाम से देश में मुख्य पार्टी हुआ करती थी ।इधर चार-पांच सालों में उधव ठाकरे द्वारा जिस तरह से वक्तव्य उनकी पार्टी के सांसदों ने लोकसभा में उनके विधायकों द्वारा महाराष्ट्र में और स्वयं उद्धव ठाकरे द्वारा जिस तरह के बयान बाजी दी गई और हिंदुत्व के रास्ते से भटकते हुए अब नई विचारधारा के साथ कार्य करने की सोच रखने की शैली पर कार्य कर रहे हैं मैंने बहुत पहले एक लेख में लिखा था कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के संरक्षण में शिवसेना और भाजपा का गठबंधन लंबे समय तक चलने की स्थिति में नहीं हो सकता है क्योंकि मुझे 3: या 4 साल पहले हर जगह जिस तरह से भाषाओं का प्रयोग होता था जिस तरह पार्टी एक दूसरे को नीचा दिखाने में लगी रहती थी उसे स्पष्ट होने लगा था । तथा गठबंधन का समय लंबा संभव नहीं लगता स्थित आज स्पष्ट तौर पर सामने आती दिख रही है बाल ठाकरे जि स शख्सियत का नाम महाराष्ट्र में उनके दर पर दस्तक देने लोग आते थे वो कहीं जाते नहीं थे वहीं पर अब उल्टा हो गया है अब उधर दस्तक देने जाते हैं उधव ठाकरे अब दस्तक देने जाते हैं यह स्थिति बन गई है पुत्र मोह में फंसकर उधव ठाकरे ने बहुत बड़ा निर्णय लिया है एक तरफ पार्टी एक तरफ पुत्र या पुत्र या पार्टी को चुनने मुख्यमंत्री के रूप में तो पार्टी का गर्त में जाना निश्चित है क्योंकि यह कांग्रेश एवं शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेश का गठबंधन शिवसेना के साथ लंबे दिनों तक चलना संभव नहीं है जब यह पार्टियां गठबंधन टूटेगा और फिर राष्ट्रपति शासन लगने के बाद चुनाव होगा चुनाव में जो समीकरण बनेंगे वास्तव में शिवसेना के विपरीत जाएंगे ।क्योंकि महाराष्ट्र की जनता नहीं चाहती दोबारा चुनाव परंतु मोबाइल में फंसकर आज महाराष्ट्र को चुनाव की ओर पुनः भेजने का कार्य गठबंधन की सरकारें अवश्य करेंगे क्योंकि एक कहावत कही गई है सांप और नेवले की दोस्ती बहुत कम होती है शिवसेना और कांग्रेसो शरद पवार की राष्ट्रीय कांग्रेश वहीं स्थित बनी है इनकी दोस्ती कब तक चलती है और कब गठबंधन होता है इन दोनों में और सरकार शिवसेना की बने यह आने वाला समय बताएगा लेकिन एक बात सत्य है कि भाजपा को 105 सीटें प्राप्त हुई 56 सीटें शिवसेना को मिली 44 सीटें राष्ट्रीय कांग्रेस को मिली 55 सीटें कांग्रेस को मिली भाजपा अगर 288 पर अपने कैंडिडेट को लड़ाती तो मैं मानता हूं कि जो 40 सीटें सरकार के लिए कम पड़ रही थी भाजपा को को 40 सीटें आ सकती थी और पूर्व बाबा में भाजपा की सरकार बन सकती थी परंतु मित्रता बस यह सब धर्म निभाने के कारण आज सत्ता से विरत हो रहे हैं। आज सबसे बड़ी विडंबना यह है। कि हम सब उत्तर प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक जाएं बहुत से राज्य ऐसे हैं जहां पुत्र मोह में पार्टी फंसी रही कर्नाटक में एचडी दो घोड़ा के पुत्र उत्तर प्रदेश में सपा महाराष्ट्र में शिवसेना झारखंड में अनुभव से राज्य हैं जिनमें पुत्र मोह में पार्टियां अपनी मूलभूत संस्कृत से भटक गई आज क्या स्थित है वर्तमान में देखी जा सकती है किसी ने दलित के नाम से जनता जो निर्णय लिए गए हैं और निर्णय को आसान ना समझा जाए और निर्णय बहुत को छला किसी ने मुसलमानों के नाम से लोगों को छला किसी ने मंदिर कमंडल के नाम से चला अब वह सारे मसले समाप्त हो चुके हैं आकार के आधार पर जनता चयन करेगी भाजपा ने जो कार्य किए हैं साडे 5 साल में वास्तव में बहुत ही सराहनीय रहे हैं
Devesh Singh journalist
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